धर्म से लाभ और अधर्म से हानि/ Dharma Se Labh our Adharma Se Hani

25.00

यह ‘तत्त्व-चिन्तामणि’ का तीसरा भाग है। ‘धर्म-अधर्म कहानियाँ गाँव-देहात से शुरू होकर महानगर तक की जीवननुभूतियों को अभिव्यक्त करती हैं।

प्रस्तुत संग्रह अलग-अलग सात भागों तथा विभिन्न शीर्षकों की तेरह पुस्तकों में पूर्व प्रकाशित सरल एवं व्यावहारिक शिक्षाप्रद लेखों के इस ग्रन्थाकार संकलन में गीता-रामायण आदि ग्रन्थों के सार तत्त्वों का संग्रह है। इसके अध्ययन से साधन-सम्बन्धी सभी जिज्ञासाओं का सहज ही समाधान हो जाता है। यह प्रत्येक घर में अवश्य रखने एवं उपहार में देने योग्य एक कल्याणकारी ग्रन्थ है।

Description

यह ‘तत्त्व-चिन्तामणि’ का तीसरा भाग है। ‘धर्म-अधर्म कहानियाँ गाँव-देहात से शुरू होकर महानगर तक की जीवननुभूतियों को अभिव्यक्त करती हैं।

प्रस्तुत संग्रह अलग-अलग सात भागों तथा विभिन्न शीर्षकों की तेरह पुस्तकों में पूर्व प्रकाशित सरल एवं व्यावहारिक शिक्षाप्रद लेखों के इस ग्रन्थाकार संकलन में गीता-रामायण आदि ग्रन्थों के सार तत्त्वों का संग्रह है। इसके अध्ययन से साधन-सम्बन्धी सभी जिज्ञासाओं का सहज ही समाधान हो जाता है। यह प्रत्येक घर में अवश्य रखने एवं उपहार में देने योग्य एक कल्याणकारी ग्रन्थ है।

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