Description
जो व्यक्ति दयालु होता है वह ठीक से न्याय नहीं कर सकता और जो न्यायप्रिय होता है वह दया नहीं कर सकता । तब कई बार मन में होता है कि भगवान दयालु हैं कि न्यायकारी ? अगर दयालु हैं तो पापी पर भी दया करके उसको माफ कर देना चाहिए । न्यायाधीश दया करेगा तो सजा नहीं देगा, वह तो दयावश बोलेगाः ‘छोड़ दो बेचारे को ।’ अगर भगवान न्यायकारी हैं और हमारे कर्मों का ही फल हमको देते हैं तो फिर हम उनकी भक्ति क्यों करें ? अगर भगवान दया नहीं कर सकते तो हम उनका भजन क्यों करें ? और भगवान यदि न्याय नहीं कर सकते तो अन्यायी हमारा क्या भला क्या करेगा ? अगर हमारा भला करेगा तो दूसरे का बुरा होगा । अगर सजा देते हैं तो वे दयालु नहीं हैं । तो बताओ भगवान दया करते हैं कि न्याय करते हैं ?
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