परमब्रह्म स्वयं भगवान श्रीकृष्णParambrahma swayam Bhagwan sri krishna

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भगवद गीता के १२ अध्याय श्लोक २ में श्रीकृष्ण ने अपने साकार सगुण रूप की भक्ति को श्रेष्ठ बताया है। और श्लोक ३,४ में जो निराकार परमब्रह्म (अव्यक्त अक्षर) की भक्ति करते हैं वे भी कृष्ण को ही प्राप्त होते हैं ये बताया है। यही बात ब्राह्मण गीता में अध्याय ४ श्लोक ५०,५१ में है।

Description

भगवद गीता के १२ अध्याय श्लोक २ में श्रीकृष्ण ने अपने साकार सगुण रूप की भक्ति को श्रेष्ठ बताया है। और श्लोक ३,४ में जो निराकार परमब्रह्म (अव्यक्त अक्षर) की भक्ति करते हैं वे भी कृष्ण को ही प्राप्त होते हैं ये बताया है। यही बात ब्राह्मण गीता में अध्याय ४ श्लोक ५०,५१ में है।

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