Description
मानव -कल्याणके साधन ( कल्याण कुञ्ज – भाग ४ )
मन, तरंंगों का समुन्द्र है। शिव के मन मे भी अनेक तरंगें उठती हैं। उन्ही तरंग रुपी विचारों को पुस्तक रुप में प्रकासित किया जा रहा है।किसी एक ही मन्त्र विशेष तरंग भी बार बार आवृति करके मनन करने योगये हे इसी निचयसे इस पुस्तकाको पढ़ना चाइये
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